Monday, January 28, 2019

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्र मरुत | Yam Brahma varunendra rudra marutah | Ramayan Bhajan

#RamayanBhajans #Ramayan #YamBrahma 

Yam Brahma varunendra-rudra-marutah | Video with Lyrics

 ॐ आदित्याय नमः 
यं ब्रह्मावरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः
 स्तवै र्वेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः ।। 
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो यस्यान्तं न विदुः 
सुरासुरगणाः देवाय तस्मै नमः ||१|| 

ॐ आदित्याय नमः मूर्तित्वे परिकल्पितः 
शश भृतो वर्त्मापुनर्जन्मना मात्मेत्यात्म विदां क्रतुश्च यजतां भर्तामर ज्योतिषाम् |
 लोकानां प्रलयोद्भवस्थिति विभुः चानेकधायः 
श्रुतौ वाचं नःसददात्वनेक किरणः त्रैलोक्यदीपो रविः ||२|| 

ॐ आदित्याय नमः भास्वान्काश्यपगोत्रजो रुणरुचिर्य: 
सिंहराशीश्वर: षट्त्रिस्थो दश शोभनोगुरुशशी भौमेषु मित्रं सदा। 
शुक्रो मन्दरिपुकलिंगजनितः
 चाग्नीश्वरो देवते मध्ये वर्तुलपूर्वदिग्दिनकर: कुर्यात् सदा मंङ्गलम्।।३।।
 
Please Subsribe: Bhajan Sansar
 Om aadityaaya namah
yam brahma-varunendra-rudra-marutah stunvanti divyaih stavair
vedaih saanga-pada-kramopanishadair-gaayanti yam saamagaah |
dhyaanaavasthitatad-gatena manasaa pashyanti yam yogino
yasyaantam na viduh suraasura-ganaa devaaya tasmai namah ||1||

Om aadityaaya namah
moortitve parikalpitaha shasha bhrito vartmaa-punarjanmanaa
maatmetyaatma vidaam kratushcha yajataam bhartaamara jyotishaam |
lokaanaam pralayodbhava-sthiti vibhuh chaanekadhaayah shrutau
vaacham nah-sadadaatvaneka kiranah trailokyadeepo ravih ||2||

Om aadityaaya namah
 bhaasvaankaashyapa-gotrajo runaruchir-yah
sinharaasheeshvarah shat-tristho dasha shobhanogurushashi
bhaumeshu mitram sadaa | shukro mandirapu-kalingajanitah
 chaagneeshvaro devate madhye vartulapoorva-digdinakarah
 kuryaat sada mangalam ||3||

Best Morning Bhajans | Top morning bhajan collection 2019 | Latest bhajans ✔

Best Morning Bhajans | Top morning bhajan collection 2019 | Latest bhajans ✔

Beautiful Morning Bhajans combined for beautiful start of the day. Start your day with these bhajans and remove all the negativity throughout the day.



Please leave a comment and don't forget to SUBSCRIBE. JAY SHREE RAM,
Jay Shree Krishna.
Jay Sambho!
Lord Vishnu

SHREE RAM CHANDRA KRIPALU BHAJMAN with Lyrics | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन |

SHREE RAM CHANDRA KRIPALU BHAJMAN with Lyrics | श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन |


श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन हरणभवभयदारुणं । नवकञ्जलोचन कञ्जमुख करकञ्ज पदकञ्जारुणं ॥१॥ व्याख्या: हे मन कृपालु श्रीरामचन्द्रजी का भजन कर । वे संसार के जन्म-मरण रूपी दारुण भय को दूर करने वाले हैं । उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान हैं । मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं ॥१॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नवनीलनीरदसुन्दरं । पटपीतमानहु तडित रूचिशुचि नौमिजनकसुतावरं ॥२॥ व्याख्या: उनके सौन्दर्य की छ्टा अगणित कामदेवों से बढ़कर है । उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुन्दर वर्ण है । पीताम्बर मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है । ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ ॥२॥ भजदीनबन्धु दिनेश दानवदैत्यवंशनिकन्दनं । रघुनन्द आनन्दकन्द कोशलचन्द्र दशरथनन्दनं ॥३॥ व्याख्या: हे मन दीनों के बन्धु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यों के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्दकन्द कोशल-देशरूपी आकाश में निर्मल चन्द्रमा के समान दशरथनन्दन श्रीराम का भजन कर ॥३॥ शिरमुकुटकुण्डल तिलकचारू उदारुअङ्गविभूषणं । आजानुभुज शरचापधर सङ्ग्रामजितखरदूषणं ॥४॥ व्याख्या: जिनके मस्तक पर रत्नजड़ित मुकुट, कानों में कुण्डल भाल पर तिलक, और प्रत्येक अंग मे सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं । जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी हैं । जो धनुष-बाण लिये हुए हैं, जिन्होनें संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया है ॥४॥ इति वदति तुलसीदास शङकरशेषमुनिमनरञ्जनं । ममहृदयकञ्जनिवासकुरु कामादिखलदलगञजनं ॥५॥ व्याख्या: जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे हृदय कमल में सदा निवास करें ॥५॥ मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर सावरो । करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥६॥ व्याख्या: जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से सुन्दर साँवला वर (श्रीरामन्द्रजी) तुमको मिलेगा। वह जो दया का खजाना और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है ॥६॥ एही भाँति गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषीं अली । तुलसी भवानी पूजी पुनि-पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥ व्याख्या: इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सभी सखियाँ हृदय मे हर्षित हुईं। तुलसीदासजी कहते हैं, भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं ॥७॥ जानी गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि । मञ्जुल मङ्गल मूल बाम अङ्ग फरकन लगे ॥८॥
व्याख्या: गौरीजी को अनुकूल जानकर सीताजी के हृदय में जो हर्ष हुआ वह कहा नही जा सकता। सुन्दर मंगलों के मूल उनके बाँये अंग फड़कने लगे ॥८॥



गोस्वामी तुलसीदास

Please Subscribe to Bhajan Sansar

Best Ram Bhajan | Bhajman Ram Charan Sukhadayi by Anup Jalota with LYRICS

भज मन राम चरण सुखदाई

जिहि चरननसे निकसी सुरसरि संकर जटा समाई । जटासंकरी नाम परयो है, त्रिभुवन तारन आई ॥ जिन चरननकी चरनपादुका भरत रह्यो लव लाई । सोइ चरन केवट धोइ लीने तब हरि नाव चलाई ॥ सोइ चरन संत जन सेवत सदा रहत सुखदाई । सोइ चरन गौतमऋषि-नारी परसि परमपद पाई ॥ दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो ऋषियन त्रास मिटाई । सोई प्रभु त्रिलोकके स्वामी कनक मृगा सँग धाई ॥ कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल तिन जय छत्र फिराई । रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर परसत लंका पाई ॥ सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक सेष सहस मुख गाई । तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु निज मुख करत बड़ाई ॥



Please Subscribe: Bhajan Sansar

MahaMrityunjaya Mantra

MahaMrityunjaya Mantra

#MahaMrityunjaya #MahaMrityunjayaMantra #ShivaBhajan #MrityunjayaMantra #BhajanSansar

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

Om Try-Ambakam Yajaamahe
Sugandhim Pusstti-Vardhanam
Urvaarukam-Iva Bandhanaan
Mrtyor-Mukssiiya Maa-[A]mrtaat ||


Meaning:
1: Om, We Worship the Three-Eyed One (Lord Shiva),
2: Who is Fragrant (Spiritual Essence) and Who Nourishes all beings.
3: May He severe our Bondage of Samsara (Worldly Life), like a Cucumber (severed from the bondage of its Creeper), ...
4: ... and thus Liberate us from the Fear of Death, by making us realize that we are never separated from our Immortal Nature.



Mrityunjaya Mantra, also known as "Rudra mantra" is found in "Rig veda VII.59.12",  "Yajur Veda III.60", Atharva Veda XIV.1.17", "Shiva Purana" among others. According to the legend Mantra was given by Lord Shiva himself to sage Sukracharya.

Benefits of recitation:
It is said to be good for mental, emotional & physical health.
Helps with Longevity of life.
Helps attain immortality (enlightenment)

Please Subscribe:  Bhajan Sansar https://www.youtube.com/channel/UCUdaKd5vRoPsHSaPMXX-saQ